Friday, October 23, 2009

What a joke!

Saturday, May 16, 2009

What a joke!

मारे एक अधिकारी हैं. कितनी ही संजीदा बात लेकर उनके पास जाइये. कहेंगे ," What a joke ! " फौज में अधिकारियों के अधिकार कुछ ज्यादा ही होते हैं. यहाँ सैनिकों को रिटायरमेंट तक भी जवान कहा जाता है और समझा बच्चा जाता है उनकी बात को कभी संजीदगी से नहीं लिया जाता. २२-२३ साल के नौजवान अधिकारी इन बूढे जवानों से कहीं ज्यादा परिपक्व होते हैं. यह देखकर कई बार मन तो मेरा भी कहता है ,"What a joke "

फौज
का एक कुप्रसिद्ध जोक है एक फौजी जवान के घर श्रवण कुमार सरीखा पितृ भक्त पुत्र पैदा हुआ. बहुत ही काबिल. पढाई पूरी करने के बाद पिता से पूछा उसे क्या करना चाहिए पिता ने उसे फौज में अफसर बनने की सलाह दी. लड़का अफसर बनने के बाद पिता से मिलने आया, पैर छुए फिर पिता से पूछा और कुछ इच्छा जो वो पूरी कर सकता हो. पिता ने फौजी कमान दी
सावधान!
लड़का सावधान में गया.
पीछे मुड़!
लड़का पीछे मुड़ा तो कस के एक लात मारी. ,"२५ साल से हसरत थी एक अफसर के पिछवाडे में लात मारने की"

इस
जोक को अन्यथा लें. हम अपनी कुंठाएं, अपने मातहतों,
अपने बीवी बच्चों, कभी कभी अपने प्रिय मित्रों पर ही तो निकालते हैं. दफ्तर में बॉस की बदसलूकी का बदला बीवी का बनाया खाना फेंक कर या बच्चों को थप्पड़ मारकर लिया जाता है.

जोक
जोक नहीं होते आप बीती होते हैं . कभी कभी सोचने को मजबूर कर देते हैं. हम फिल्म देखते हैं तो हीरो के जूते अपने पैरों में डाल लेते हैं. तीन घंटे तक वही सब कुछ कर रहे होते हैं जो हीरो करता है. क्या कभी तीन मिनट के जोक के साथ भी ऐसा हुआ है शायद तब हम हंस नहीं पाते . गालिब ने शायद लिखा होता
:-

"हमको
मालूम है जोक की हकीकत लेकिन
दिल के खुश रखने को गालिब ये ख्याल अच्छा है."

1 comments:

sanjaygrover said...

हुज़ूर आपका भी .......एहतिराम करता चलूं .....
इधर से गुज़रा था- सोचा- सलाम करता चलूं ऽऽऽऽऽऽऽऽ

कृपया एक अत्यंत-आवश्यक समसामयिक व्यंग्य को पूरा करने में मेरी मदद करें। मेरा पता है:-
www.samwaadghar.blogspot.com
शुभकामनाओं सहित
संजय ग्रोवर

No comments:

Post a Comment