Friday, May 15, 2009

छेड़ो जीवन का गीत कोई

छेड़ो जीवन का गीत कोई
मनभावन सा संगीत कोई
दिल को छू ले वो साज तो दो
मेरे गीतों को आवाज तो दो
समझा दो कुछ पागल मन को
सुलझा तो दो इस उलझन को
कैसे पल भी न गुजर पाए
कैसे जाए दिन बीत कोई

चेहरा एक मेहताब हो ज्यों
इक खिलता हुआ गुलाब हो ज्यों
बादल में से ज्यों धूप खिले
ऐसा मोहक सा रूप खिले
तस्वीर में कैसे रंग भरूं
मुझको बतलादे रीत कोई

सुंदर सा इक सपना होगा
इक मीत मेरा अपना होगा
जिसको दे दूँ दिल की धड़कन
अपना कर दूँ जीवन अर्पण
जो ना टूटे ऐसा बंधन
दे दो मुझको मनमीत कोई

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